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सरकार ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (एनजीएचएम) के साइट प्रोग्राम के अंतर्गत उर्वरक क्षेत्र के लिए आवंटन बढ़ाया, पूरी खबर यहां पढ़ें।Government increases allocation for fertilizer sector under SITE programme of National Green Hydrogen Mission (NGHM), read full news here.

 




  • उर्वरक क्षेत्र के लिए हरित अमोनिया का आवंटन 5.5 लाख टन प्रति वर्ष से बढ़ाकर 7.5 लाख टन प्रति वर्ष किया गया

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरईवर्ष 2030 तक देश में हरित हाइड्रोजन की 5 मिलियन टन प्रति वर्ष उत्पादन क्षमता प्राप्त करने के लक्ष्य के साथ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (एनजीएचएमको क्रियान्वित कर रहा है।

मिशन के अंतर्गतनवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने 16.01.2024 को एनजीएचएम के साइट प्रोग्राम - घटक II: हरित अमोनिया उत्पादन की खरीद के लिए प्रोत्साहन (मोड 2 के अंतर्गतके कार्यान्वयन के लिए योजना से संबंधित दिशानिर्देश जारी किए थे। मोड 2 उर्वरक क्षेत्र की आवश्यकताओं को पूरा करता है। उक्त दिशानिर्देशों के अनुसारमोड 2 के ट्रेंच I के अंतर्गत बोली लगाने के लिए उपलब्ध क्षमता 5,50,000 टन प्रति वर्ष ग्रीन अमोनिया थी। इसके बादसोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआईने भी लागत आधारित प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से ग्रीन अमोनिया उत्पादकों के चयन के लिए चयन हेतु अनुरोध (आरएफएसजारी किया।

मिशन के कार्यान्वयन की गति तेज होने के साथ हीविभिन्न क्षेत्रों से ग्रीन हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव की मांग भी बढ़ रही है। उर्वरक क्षेत्र से ग्रीन अमोनिया की मांग में वृद्धि के क्रम मेंनवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने उर्वरक क्षेत्र के लिए मोड 2 योजना के अंतर्गत आवंटन में 2 लाख टन प्रति वर्ष की वृद्धि करके योजना से संबंधित दिशानिर्देश दिनांक 16.01.2024 को संशोधन करने का निर्णय लिया हैअर्थात ग्रीन अमोनिया के 5,50,000 टन प्रति वर्ष के मौजूदा आवंटन को बढ़ाकर 7,50,000 टन प्रति वर्ष कर दिया गया है। देश में ग्रीन हाइड्रोजन और इसके उत्पादों की मांग सृजन की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।

संशोधन आदेश इस लिंक पर क्लिक करके प्राप्त किया जा सकता है

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन 04 जनवरी, 2023 को वित्त वर्ष 2029-30 तक 19,744 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ शुरू किया गया था। यह स्वच्छ ऊर्जा के माध्यम से आत्मनिर्भर बनने के भारत के लक्ष्य में योगदान देगा और वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा की उपलब्धता के लिए प्रेरणा का काम करेगा। यह मिशन अर्थव्यवस्था को काफी हद तक कार्बन उत्सर्जन से मुक्त करने के साथ-साथ जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता को कम करेगा और भारत को हरित हाइड्रोजन से जुड़ी प्रौद्योगिकी और बाजार को लेकर शीर्ष स्थान तक पहुंचने में सक्षम करेगा।